स्वतंत्रा दिवस पर मुख्य मंत्री महोदय का भाषण

बहनों और भाईयो,
स्वतंत्रता की 61 वीं वर्ष गांठ पर मैं प्रदेश के सभी नागरिकों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूॅ।
आजादी हमें बहुत सी खुशियां ओर अधिकार देती है लेकिन बदलें में वह हमसे एक ही चीज मांगती है– लगातार जागरूकता । जिस आजादी के पौधे को हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने रक्त से चींचा, उसे पुष्पित और पल्लवित करने के लिए हमें सतत सजग रहना होगा। हमारे शास्त्र कहते है, यतेमहि स्वराज्यो कि स्वराज्य को हमेशा अर्जित करते रहना पड़ता है।
आजादी हमारा जन्मसिद्व अधिकार है, लेकिन उसका बना रहना कर्म–सिद्व है। आज के दिन हम आजादी के शहीदों को कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करते हैं। हमारी बहादुर सेनाओं ने स्वाधीन भारत की रक्षा में दिन रात जिस कर्तव्यपरायणता ओैर देशभक्ति का परिचय दिया है, वह हम सब के लिए गर्व की बात हैं।
आंतरिक एवं बाह्रा देश के सभी दुश्मनों से हमें सुरक्षित रखने का दायित्व उन्होने पूरी मुस्तैदी से निभाया है। उन्होनें अपना कत्र्तव्य पूरा किया, अब हमारा भी कत्र्तव्य है कि हम अनवरत उनकी शहादत का पुण्य स्मरण करें। इसी उद्देश्य से भोपाल में एक बार मेमोरियल के निर्माण का निर्णय लिया गया है। यह मेमोरियल न केवल उनका स्मरण हमें कराता रहेगा बल्कि हमें और भावी पीढि़यों को देश के लिए सर्वस्त्र न्यौछावर करने की सतत प्ररेणा देता रहेगा। आजादी, मेरी नजर में, बेहतर होने के लिए मिला मौका है।
हमारी सरकार ने अपने शासन काल में प्रदेश की अधोसंरचना को ही बेहतर नहीं बनाया, बल्कि आम नागरिक की जिन्दगी में भी बेहतरी लाने की कोशिश की हैं। आज महिलाएं, किसान, वनवासी, अनुसूचित जाति, कारीगर, कोटवार, खिलाड़ी, लघु उद्यमी, नि:शक्तजन आदि पूरे आत्म विश्वास से अपनी बात मुख्यमंत्री निवास में बुलाई गई पंचायतों में कहते हैं।
आजाद भारत के इतिहास में अब तक की यह सबसे बडी और अनूठी कवायद है जिसमें शासन के सैकड़ो नीतिगत निर्णय आम आदमी ने तय किए हैं। हमारी सरकार में ‘‘लोक ’’को ‘‘ तंत्र’’का पिछलग्गू नहीं रहने दिया गया। बल्कि उसने तंत्र के स्वरूप और स्वभाव को, उसकी दिशा और गति को निर्धारित किया ।
जदर्शन कार्यक्रम के तहत इसी जनशक्ति का इस्तेमाल योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए हुआ। ‘‘ लोक ’’ ने यदि ‘‘ तंत्र ’’ की शिकायत की तो तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए गए क्योंकि हमारे लिए जनवाणी ही देववाणी है। अधो रचना की बेहतरी में सबसे पहले मैं बिजली का उल्लेख करना चाहूंगा। विगत साढ़ेचार वर्षो में राज्य शासन द्वारा प्रदेश में विद्युत उपलब्धता बढ़ाने तथा विद्युत प्रदाय की गुणवत्ता में सुधार के लिए विशेष प्रयास किये गये हैं। इस अवधि में प्रदेश में कुल 3147 मेगावॉट नई उत्पादन क्षमता स्थापित की गई जबकि पूर्व के लगभग 50 वर्षो में मात्र 2991 मेगावॉट क्षमता स्थापित की गई थी। उक्त अवधि में विद्युत प्रदाय में लगातार सुधार किया गया तथा वर्ष 2007–08 में कुल 35800 मिलियन युनिट विद्युत प्रदाय की गई जो कि वर्ष 2002–03 में प्रदाय की गइ 27100 मिलियन युनिट से लगभग 32 प्रतिशत अधिक है।
इसी तरह 2007–08 में कुल 6684 मेगावॉट अधिकतम मांग की आपूर्ति की गई जो कि वर्ष 2002–03 के 4652 मेगावॉट की तुलना में 44 प्रतिशत अधिक है। पारेषण प्रणाली में उक्त अवधि में 68 प्रतिशत की बढोतरी की गई और वोल्टेज में सुधार के साथ साथ ट्रांसमिशन हानियों का स्तर वर्ष 2002–03 के लगभग आठ प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत के स्तर पर लाया गया। वितरण ट्रांसफार्मरों के बेहतर रख रखाव तथा विगत 3 वर्षो में लगभग 30,000 वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना के फलस्वरूप ट्रांसफार्मर खराबी की दर को 24 से कम कर 14प्रतिशत तक लाया गया है। कैप्टिव पावर इकाईयों पर लगने ले उपकर को पूर्णत: समाप्त किया गया है।
किसानों के लिए बिजली दरों मे भारी कमी की गई। पिछले दो वर्षो में करीब 17 लाख अस्थाई कनेक्शन भी दिये गये हैं। कृषक राहत योजना के अंतर्गत लगभग तीन लाख कृषि पम्प उपभोक्ता लाभान्वित किये गये हैं।
सड़कों के सुधार और निर्माण पर सरकार ने जो व्यापक कार्य किया है वह अनेक मायनों में ऐतिहासिकहै। पॉच सालों की अवधि में 40 हजार किलो मीटर सड़कों का निर्माण अथवा उन्नयन किया गया है। लगभग 3 हजार 700 किलो मीटर सड़कों का डामरीकरण किया गया हैं । मध्यप्रदेश सम्पूर्ण भारत में सड़क निर्माण के क्षेत्र में निजी पूंजी निवेश के तहत सर्वाधिक कार्य करने वाला प्रदेश है। प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजा के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश लगाता अग्रणी बना हुआ है।
सिंचाई सुविधाओं का तीव्र गति से हुआ विस्तार भी हमारे लिए गौरव का विषय है वर्ष 2003–04 में जल संसाधन विभाग का बजट लगभग 700 करोड़ रूपये होता था, जिसमें हमने प्रति वर्ष इजाफा किया और विगत वर्ष 2007–08 में इसे दुगने से अधिक करते हुए लगभग 1500 करोड़ रूपये तक पहुंचाया । इसी तरह वर्ष 2003–04 तक सिंचाई क्षमता में प्रति वर्ष वृद्वि की वार्षिक दर लगभग 50 हजार हेक्टेयर होती थी जिसे हमने अब लगभग एक लाख हेक्टेयर तक कर दिया है। सम्पूर्ण ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में लगभग 10,000 करोड़ रूपयों का प्रावधान तथा सात लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित करने का लख्य रखा गया है। वर्ष 1998–2003 में राज्य सरकार द्वारा 296 नई लघु सिंचाई योजनाओं को प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई थी। हमने पॉच वर्ष से भी कम अवधि में 1147 लघु सिंचाई योजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है जिनकी कुल लागत लगभग 2000 करोड़ रूपये और कुल रूपांकित वार्षिक सिंचाई क्षमता लगभग दो लाख हेक्टेयर हे।
वित्तीय संसाधनों के जुटाने से अपूर्ण परियोजनाओं के कार्य में गति आई हैं एवं इसके अच्छे परिणाम भी मिलने प्रारंभ हो गये हैं। राजघाट परियोजना का नहर निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है। तथा 1,21,450 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्मित हुई है। बाण सागर बांध का निर्माण पूर्ण कियाजा चुका है, जिससे लगभग 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्मित की जा चुकी है तथा परियोजना से 425 मेगावॉट पन बिजली का उत्पादन प्रारंभ हो गया हैं सिंध योजना ( द्वितीय चरण ) के अंतर्गत मड़ीखेड़ा बांध पूर्ण कर लिया गया है और वहां से 60 मेगावॉट बिजली का उत्पादन प्रारंभ हो गया है। खेत तालाब योजना, कुंओं अदि से भी एक बड़ी ओर विकेन्द्रित सिंचाई क्षमता पनपी है।
नर्मदा घाटी के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान मे ंरखते हुए वृहद सिंचाई और जल विद्युत योजनाओं के निर्माण को गति दी गई है। निर्मित और निर्माणाधीन परियोजनाओं से विगत पॉचवर्ष की अवधि में एक लाख 53 हजार हैक्टेयर सिंचाई क्षमता और 2356 मेगावॉट जल विद्युत क्षमता निर्मित कर ली गई हैं वर्ष 2007–08 में आदिवासी बहुल धार जिलें को 984 हेैक्टेयर सिंचाई लाभ पहुंचाने वाली शहीद चन्द्रशेखर आजाद ( जोबट ) परियोजना का निर्माण पूरा किया गया है।
हमारी अर्थ व्यवस्था का मुख्य आधार किसान हैं । हमने खेती को अधिक से अधिक लाभकारी बनाने के सतत प्रयास किये हैं प्रदेश में कृषकों से सीधा संवाद स्थापित करने के लिए भोपाल में किसान महा पंचायत का आयोजन किया गया। हमने सिंचाई जल के समुचित उपयोग को बढावा देने के लिए स्प्रिकंलर, ड्रिप एवं रेनगन पर विभिन्न योजनाओं में दिये जाने वाले अनुदान के अतिरिक्त राज्य शासन द्वारा 30 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान देने की व्यवस्था की है। अब पॉच घन मीटर क्षमता तक के बायो गैस संयंत्र के निर्माण पर भारत सरकार की ओर से दिए जाने वाले अनुदान के अतिरिक्त 2500 रूपये प्रति संयंत्र का अनुदान राज्य शासन दे रहा हैं प्रदेश के समस्त 313 विकास खण्डो में एक एक किसान ज्ञान केन्द्र की स्थापना कर उन्हें कम्प्यूटर एवं इंटरनेट की सुविधा देने का निर्णय लिया गया है ताकि कृषकों को कृषि की आधुनिकतम तकनीकों की जानकारी उपलब्ध हो सके। सामान्य वर्ग के कृषकों को भी नलकूप खनन एवं पम्प की स्थापना के लिए 24,000 रूपये की सहायता देने का निर्णय लिया गया है।
बलराम तालाब के निर्माण पर कृषको ंको दिया जाने वाला अनुदान 50 हजार से बढाकर 80 हजार रूपये किया गया है। लघु एवं सीमांत किसानों को डीजल अथवा बिजली केपम्प खरीदने के लिए 50 प्रतिशत अधिकतम 10 हजार रूपये का अनुदान देने का बड़ा निर्णय लिया गया हैं । एक अप्रेल 2008 से सहकारी बैंकों के माध्यम से किसानों को दिये जाने वाले कृषि ऋण पर ब्याज की दर सात प्रतिशत से घटाकर पॉचप्रतिशत कर दी गई है। प्रदेश की 2094 प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं को 605 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई हैं वर्ष 2003–04 मेंसाख सहकारी संस्थाओं के माध्यम से 1274 करोड़ रूपये का अल्पकालीन फसल ऋण किसानों को वितरित किया गया था। वर्ष 2007–08 में लगभग ढाई गुना 3194 करोड़ रूपये का ऋण वितरित किया गया है। इस वर्ष किसानों को 4500 करोड़ रूपयेका अल्प कालीन ऋण वितरणकिये जाने का लक्ष्य है।
किसानों को सहकारी संस्थाओं से ऋण सुविधा आसानी से उपलब्ध हो सके, इसके लिए अब तक लगभग 31 लाख क्रेडिट काड उपलब्ध कराये गये हैं किसानों के हित में खाद्य प्रसंस्करण नीति इस वर्ष जारी की गई है। प्रदेश के 18 जिलों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना आरंभ की गई हैं हमने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से गेहूॅ खरीदी पर 100 रूपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त बोनस के रूप में दिये है। इस वर्ष प्रदेश में रिकार्ड मात्रा में कृषकों से 23 लाख 31 हजार मैट्रिक टन गेहूॅ खरीदा गया । प्राकृतिक विपदाओं से पीडि़त किसानों को 344 करोड़ रूपयों की राशि वितरित की गई है। उल्लेखनीय है कि इन विपदाओं में मेरी सरकार ने सूखे को भी शामिल करने का अभूतपूर्व कदम उठाया और सूखे से लडते हुए हमारे किसानों को 156 करोड़ रूपये की राहत राशि बांटी वरना पहले किसान की फसल सूख जाती थी और वह मोहताज भटकता था। वन्य प्राणियों के द्वारा फसल नुकसान की हालत में भी हमने राहत देने का अनूठा कदम उठाया । हमारा लक्ष्य है कि किसान खेती करते हुए गौरवान्वित एवं लाभान्वित महसूस करे।
प्रदेश के मजदूर, शिल्पी, कारीगर और कलाकार हमारे प्रदेश की धरोहर हैं। हमने मजदूरों के लिए नयी श्रम नीति घोषित की है। अब ‘‘ मुख्य मंत्री मजदूर सुरक्षा योजना ’’ के तहत मजदूर परिवारों मेंबच्चा होने के समय महिला के प्रसव का खर्च सरकार देगी, साथ ही डेढ़ माह की मजदूरी के बराबर पैसा महिला को प्रसव के समय मिलेगा। यही नही महिला का पति उसका ध्यान रखे इसके लिए उसे भी आधे महीने का पैसा बिना काम के दिया जाएगा। इन मजदूरो के बच्चो की पढाई के लिए पहली कक्षा से ही वजीफा और शादी ब्याह में मदद का इतंजाम भी इस येाजना में है। ग्रामीण भूमिहीन मजदूरों के लिए इसी साल अप्रेल से आम आदमी बीमा योजना शुरू की गई है। असंगठित क्षेत्र के निर्माण मजदूरों के कल्याणार्थ 184 करोड़ रूपये की राशि उपकर के रूप में जमा हुई हैं उनके लिए आठ कल्याणकारी योजनाएं संचालित की गई है। लम्बे अंतराल के बाद न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण किया गया है । हथकरघा बुनकरों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिएजहॉहमने स्वास्थ्य बीमा योजना में 21368बुनकरों तथा 6 हजार शिल्पियों का बीमा कराया है, वहीं परम्परागत शिल्पियों को प्रोत्साहित करने के लिए विश्वकर्मा पुरस्कार स्थापित किये गये हैं।
शिल्पियों एवं बुनकरों को औजार उपकरण के लिए दी जाने वाली सहायत की अधिकतम सीमा दुगनी से अधिक कर दी गइ है। कला मंडलियों को वाद्य यंत्र खरीदने के लिए साढ़े 17 करोड़ रूपये की राशि प्रावधानित की गई है । सफाई कामगर आयोग और माटी कला बोर्ड का भी गठन किया गया है।
प्रदेश के गरीब लोगों के लिए राज्य सरकार मंहगाई के विरूद्व ढाल बनकर खड़ी है। मुख्य मंत्री अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत तीन रूपये किलो की दर से गेहूॅ और साढ़े चार रूपये की दर से चावल हर गरीब परिवार को 20 किलो प्रति माह प्रति राशन कार्ड पर उपलब्ध कराया जा रहा है। मंहगाई राज्य सीमा के अंतर्गत नहीं है। किन्तु राज्य सरकार गरीबों की खाद्यसुरक्षा के लिए अपने बजट से इस योजनांतर्गत 255 करोड़ रूपये व्यय कर रही है । हमने प्रदेश को आयातित लाल गेहूॅ से भी मुक्त कराया ।राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश इस साल भी देश में अग्रणी रहा । इस योजना के अन्तर्गत एक करोड़ से अधिक लोगो को जाब कार्ड वितरित किये जा चुके हैं।योजना के अंतर्गतएक लाख 58 हजार 128 कार्य पूर्ण कराये जा चुके हैं और दो लाख 66 हजार 172 कार्य प्रगतिरत हैं। जिला गरीबी उन्मूलन योजना प्रदेश के 14 जिलों के 2900 ग्रामों में क्रियान्वित की गई है जिसमें 56 हजार 88 समूह लाभान्वित हुए हैं।
सामान्य वर्गो के निर्धन लोगों की बेहतरी के लिए एक आयोग बनाकर तेजी से काम किया गया है। आयोग की सिफारिशो के अनुरूप प्रथम चरण में सामान्य वर्ग के निर्धन बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूली और उच्च शिक्षा स्तर से लेकर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए अनेक छात्रवृत्ति योजनाएं इसी शिक्षा सत्र से लागू की गई हैं । निर्धन वर्ग के प्रतिभाशाली बच्चों को उच्च शिक्षा के लिएबैंक ऋण प्राप्त करने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए उच्च शिक्षा ऋण गारंटी कोष भी स्थापित किया गया हैं इस वर्ग के बच्चों को अब पहली से 12वी कक्षा तक नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें भी उपलब्ध करवायी जा रही है।
अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता ) अधिनियम के क्रियान्वयन में हम देश के राज्यों में सर्व प्रथम है। हम आदिवासियों के सामान और सम्मान की वापसी के लिए प्रतिबद्व हैं। मैने मण्डला से इस अधिनियम के अंतर्गत वनवासियों को अधिकार पत्र सौपने की शुरूआत की है। जहॉ अन्य राज्यों में इसका प्रारंभिक चरण भी नहीं पूरा हो पाया है, वहां मध्यप्रदेश में अधिकार पत्र सौपना शुरू हो गया है। सरकार चाहती है कि गरीब आदिवासी जिस जमीन पर पीढि़यों से काबिज हैं उस पर उन्हें रहने और जीविकोपार्जन का हक मिले।
गंभीर वन अपराध प्रकरणों को छोड़कर सभी वन अपराध प्रकरण वापस लिये जा रहें हैं और जप्त किए हल, बख्खर, बैलगाड़ी के पहिए जैसे सामान आदिवासियों को वापस किए जा रहें हैं । तेन्दू पत्ता संग्रहण काल 2008 के लिए संग्रहण दर 550 रूपये प्रति मानक बोरा कीगई है जो गत वर्ष की तुलना में 100 रूपये अधिक है। उनके लिए बोनस की राशि, जो संग्रहण वर्ष में अर्जित शुद्व लाभ की राशि का 50 प्रतिशत थी,वर्ष 2007 से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दी गई। साल बीज के संग्रहण पर लगी रोक भी हटा ली गई है और संग्रहण दर 450 रूपये प्रति क्विंटल को बढाकर एक हजार रूपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। अनुसूचित जनजाति की नई पीढ़ी को उत्कृष्ट शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है। हमारे शासन काल में कन्या साक्षरता योजना में लाभान्वित छात्राएं और उन्हें दी गई राशि दुगनी हो गई है। गणवेश प्रदाय करने में हमने चौगुनी धनराशि स्वीकृत की हैं कक्षा 9 एवं 10 में अध्ययनरत छात्र –छात्राओं की वार्षिक छात्रवृत्ति दुगुनी कर दी गई है और 11 वी व 12 वी के छात्रावासी विद्यार्थियों की अतिरिक्त छात्रवृत्ति दुगुनी से भी ज्यादा कर दी गई है। मेडिकल एवं इंजीनियरिंग पाठयक्रमों के लिए छात्रावासी विद्यार्थियों कर्पदे निर्वाह भत्ते की दर भी दुगनी से ज्यादा कर दी गई है ।
प्रदेश के 11 आदिवासी बहुल जिलों के अनुसूचित जनजाति परिवारों की आजीविका के लिए लगभग 75 करोड़रूपये की लागत की कामधेनू एकीकृत आदिवासी डेयरी विकास योजना लागू की गई है।
अनुसूचितजाति वर्ग के विकास एवं अस्पृश्यता निवारण के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों को पुरस्कार की राशि 5,000 रूपये से बढ़ाकर एक लाख रूपये की गई हिै।
अस्पृश्यता निवारण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अंतर्जातीय विवाह करने वाले दम्पत्तियों को प्रोत्साहन राशि 10,000 रूपये से बढ़ाकर 50,000 रूपये की गई है। वर्तमान शिक्षा सत्र में अनुसूचित जाति के छात्र –छात्राओं को और अधिक शेैक्षणिक आवासीय सुविधा देने के लिए 60 नवीन छात्रावास प्रारंभ किए गए हैं। इसी प्रकार विमुक्त जाति धुमक्कड़ एवं अर्ध मुक्कड़ जातियों के बालक बालिकाओं के लिए 51 नवीन छात्रावास संचालित किए गए हैं।
अनुसूचितजाति के छात्रावासी विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिष्यावृत्ति की राशि में वृद्वि की गई है। अब बालिकाओ को 360 रूपये के स्थान पर 525 रूपये एवं बालकों को 350 रूपये के स्थान पर 500 रूपये दिये जा रहें है। कक्षा 9 वी एवं 10 वी में अध्ययनरत अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति में दो गुना वृद्वि कर दी गई है। इसी प्रकार कक्षा 11 वी की कन्या साक्षरता प्रोत्साहन योजना में 2,000 रूपये से बढ़ाकर 3000 रूपये की राशि दी जायेगी। हमारी सरकार ने अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए पिछले पॉच वर्षो में बजट में लगभग तीन गुना वृद्वि की है। वर्ष 2002–03 में अनूसूचित जाति उपयोजना में जहॉ कल प्रावधान 717 करोड़ रूपये का था उसे बढ़ाकर वर्ष 2008–09 में 2180 करोड रूपये किया गया। इसी प्रकार आदिवासी उपयोजना मद में वर्ष 2002–03 मेजहॉ कुल प्रावधान 1263 करोड रूपये था उसे वर्ष 2008–09 में बढाकर 3142 करोड़ रूपये किया गया है।
कल राखी है। पिछले कुछ सालों में हमने लगातार कोशिशें की है कि हमारी माताओं और बहनों का जीवन स्तर सुधरे । हमारी कोशिश रही है कि बेटियों को बोझ मानने वाली प्रवृत्ति खत्म हो और उन्हे वरदान की तरह स्वीकारा जाये। इसलिए हमने उनके हक मेे एक के बाद एक ऐसी योजनाएं आरंभ की है जो आज देश भर में अनेक राज्यों के द्वारा भी अपना ली गई है।। लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत 71 हजार बालिकाओं को लाभान्वित किया गया है। मुख्य मंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत 73हजार से अधिक शादियां हुई हैं। आंगनबाड़ी में पोषण – आहार के लिए बजट में पिछले तीन सालों के भीतर तीन गुनी वृद्वि हुई है। महिलाओं तथा बच्चों को घरेलू हिंसा के विरूद्व संरक्षण एवं सहायता के लिए नवीन उषा किरण योजना प्रारंभ की गई है। महिलाओ के लिए लगभग 161 करोड़ रूपये की तेजस्विनी ग्रामीण महिला सशक्तिकरण योजना शुरू की गई है । पैतीस वर्ष के इतिहास में पहली बार दलिया के स्थान पर बीस तरह की भोजन सामग्री आंगनबाड़ी केन्द्रो में प्रदाय की जा रही है ।
हमारे गोद भराई, अन्न प्राशन, जन्मदिवस एवं किशोर बालिका दिवस कार्यक्रमों की सराहना भारत सरकार के द्वारा भी गई । हमने लगभग 20 हजार नवीन आंगनबाड़ी केन्द्र स्वीकृत किये हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं को पहली बार राज्य मद से क्रमश: 1000 एवं 500 रूपये देने का निर्णय लिया गया है । प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में रहने वाली सामान्य निर्धन महिलाओं को आजीविका के सुनिश्चित अवसर प्रदाय करने की दृष्टि से आचार्य विद्यासागर गोसवर्धन योजना प्रारंभ की जा रही है, जिसमें प्रत्येक महिला हितग्राही को उन्नत भारतीय नस्ल की दो दुधारू गाय व प्रशिक्षण आदि प्रदान किया जायेगा । महिलाओं की बेहतरी के लिए हमारी प्रतिबद्वता इसी बात से प्रकट होती है कि पिछले चार सालों में महिला एवं बाल विकास विभाग का हमारा बजट दुगने से भी अधिक हो गया है ।
हमने प्रदेश के विकास में महती भूमिका का निर्वाह करने वाले शासकीय कर्मचारियों के कल्याण के लिए लगातार अपनी गंभीर प्रतिबद्वता दिखाई है । हमने राज्य वेतन आयोग का गठन किया है । प्रशासकीय अमला लगातार जनता से जुड़े, इस दृष्टि से उन्हें देय वेतन तथा अन्य लाभ में लगातार सुधार लाने का प्रयास किया गया है, किन्तु आम नागरिक को प्राप्त होने वाली सुविधाओं में भी अनवरत रूप से सुधार हो, यह मैनें कभी आॅंखों से ओझल नही होने दिया है । इ–गर्वनेंस के माध्यम से नागरिक सुविधाएं उपलब्ध करोन के लिए 9232 कामन सर्विस सेंटर इसी उद्देश्य से स्थापित किये जा रहे हैं ।
प्रदेश के युवा प्रदेश का भविष्य हैं । हमने उनके लिए प्रदेश में पहली बार एक सुविस्तृत युवा नीति बनाई है । हमने उनके लिए आजीविका मिशन भी स्थापित किया है । हमने शासकीय सेवाओं में भर्ती पर लगे प्रतिबंध को हटाया है । शासकीय नौकरियों के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसरों का विपुल विस्तार किया गया है । खेल, शिक्षा, रोजगार जैसे अलग अलग मोर्चो पर हमने प्रदेश की युवा शक्ति को स्फूर्त किया है ।
जुलाई 2007 से भोपाल में 13 खेलों की एकेडमीज संचालित की गई है । इन एकेडमीज के खिलाडि़या द्वारा मात्र एक वर्ष में राज्य, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कुल 4115 पदक अर्जित किये गये हैं जिनमें पांच अन्तराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर 180 व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में 230 पदक सम्मिलित हैं । प्रदेश के युवाओं को कम्प्यूटर एनीमेशन और टे्रवल व टूरिज्म के क्षेत्र में अच्छे रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रशिक्षणार्थियों की प्रवेश क्षमता दुगुनी की गई है । साथ ही इस योजना का संभागीय स्तर पर भी विस्तार किया जा रहा है, जिसके लिए क्रमश: सागर, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर, रीवा आदि संभागों का चयन किया गया है । खिलाडि़यों को दी जा रही खेल वृत्ति अधिकतम 2ए000 रूपये वार्षिक से बढ़ाकर 7ए000 रूपये वार्षिक की गई है । साथ्ज्ञ ही अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खिलाडि़यों को दी जा रही सम्मान निधि 5ए000 रूपये मासिक से बढ़ाकर 10ए000 रूपये मासिक जीवन पर्यन्त की गई है । वर्ष 2007 के राष्ट्रीय खेलों की ऐतिहासिक सफलता को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्रीय खेलों में पदक प्राप्त करने वालों की पुरस्कार राशि को दुगुना कर दिया गया है । अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खेल ग्राम के निर्माण के लिए पी.पी.पी. योजना के अन्तर्गत 1000 करोड़ रूपये की लागत से खेल ग्राम का निर्माण भोपाल स्थित गांव सतगढ़ी में किया जा रहा है, जिसमें स्पोट्र्स साइंस सेंटर भी स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है । शिक्ष अधोरचना को स1दृढ करने के लिए 25श्968 शिक्षा गारंटी शालाओं का प्राथमिक शालाओं में उन्नत और 14श्564 प्राथमिक शालाओं का माध्यमिक शाला में उन्नयन हुआ है तथा इसी वर्ष 1176 हाई स्कूल, 215 हायर सेकेण्डरी स्कूल 2132 मिडिल और 919 सेटेलाईट शालाएं स्वीकृत की गई है । राज्य के इतिहास में यह उपलब्धि अद्वितीय है । इस वर्ष माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा आयोजित परीक्षाओं में उपलब्धियों की दृष्टि से शासकीय विद्यालयों में उत्तीर्ण करने वाले छात्र–छात्राओं का प्रतिशत निजी क्षेत्र के विद्यालयों से बेहरत रहा है । अकेले इस वर्ष 3500 से अधिक विभिन्न स्तरों के वि़द्यालयों को प्रारंभ किया जाकर शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति प्रदेश में लाई जा रही है, जिसके परिणाम आगे आने वाले वर्षो में हमारे युवाओं को बेहतर रोजगार के अवसर के रूप में दिखेंगे ।
मध्यप्रदेश में निजी विश्वविद्यालय अधिनियम बनाय गया है जिसके अन्तर्गत 19 निजी विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए राज्य शसन के ाथ एम.ओ.यू. हुए हैं व्यावसायिक पाठ्यक्रम के शुल्क निर्धारण के लिए अधिनियम बनाने वाला मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राजयों में है । गांव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण योजना, स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना इसी दिशा में स्थापित हुए नींव के पत्थर है ।
युवाओं के लिए तकनीकी शिक्षा सुविधाओं का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है । आज प्रदेश में संचालित इंजीनियरिंग विद्यालयों की संख्या बढ़कर 142 हो गयी है । प्रदेश के आठ शासकीय महिला पॉलीटेक्निक को सह शिक्षा में परिवर्धित कर तकनीकी शिक्षा के प्रसार को व्यापक बनया गया है । प्रदेश में स्पेशल एजुकेशन जोन की एक सर्वथा नई अवधारणा के तहत भोपाल संभागीय मुख्यालय पर लगभग 500 एकड़ भूमि को भी तिचन्हांकित कर लिया गया है । अनुसूचित जाति एवं जनति के विद्यार्थियों के लिए आधश्ुनिकतम शिक्षा देने के उद्देश्य से दो महात्वाकांक्षी योजनाओं एकलव्य एवं डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर योजना के तहत शिक्षण संस्थाओं का सुदृढीकरण किया गया है । शिल्पकार प्रशिक्षण योजना के अन्तर्गत 11400 के लक्ष्य के विरूद्ध वर्ष 2007 में 14216 प्रशिक्षणार्थियों का प्रवेश हुआ जबकि इस वर्ष लगभ्ग 18000 प्रशिक्षणार्थी प्रविष्ट हो रहे हैं । चौबीस औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं का सेंटर आॅफ एक्सीलेंस के रूप में उन्नयन किया जा रहा है पिछड़ा वर्ग के छात्रा ें के लिए प्रत्येक संभागीय स्तर पर 100 सीटर पोस्ट मैट्रिक छात्रावास बनाए गये जबकि प्रतयेक जिला मुख्यालय पर पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक विद्यार्थयों के लिए मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति तथा पोस्ट मैट्रिक का लाभ पहुंचाया गया ।
विमानन विभाग द्वारा प्रदेश की कई शासकीय हवाई पट्टियों को उड्डयन संबंधी गतिविधियों वैसे पायलट प्रशिक्षण विमान इंजीनियरिंग संबंधी प्रशिक्षण आदि करने के लिए अनुमति दी गई है इससे मध्यप्रदेश के के युवक युवतियों को उड्यन क्षेत्र में प्रशिक्ष्ज्ञण एवं रोजगार के अवसर प्राप्त होगें । इसके अतिरिक्त शासन द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के 30–30 अभ्यार्थियों को मानक संस्था के माध्यम से एयर होस्टेस एवं फ्लाइट स्टीवर्ड संबंधी प्रशिक्ष्ज्ञण के लिए छात्रवृत्ति दिये जाने का निर्णय लिया गया है । प्रदेश के युवाओं के लिए यह तथ्य बहुत आशा जगाता है कि हमारे सरकार का कार्यकाल औद्योगिक प्रगति का स्वर्णकाल है । निवेश को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली से शुरू हुई प्रदेश की मुहिम ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इंदौर, जबलपुर सागर और ग्वालियर तक सफलता के अनेंक कीर्तिमान कायम कर चुकी है । इन मीटस में मात्र करारनामों पर हस्ताक्षर नहीं हएु है बलिक् उनसे संबंधित निवेश और उद्योग धरातल पर तेजी से आकार लेने लगे हैं । उद्योगों की स्थपना युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसरों का सृजन कर रही है ।
मैनें जो भी योजनाएं बनाई है, उनके केन्द्र में आम आदमी को रख है विकास की मेरी नजर में एक ही कसौटी है, वह है आम आदमी के जीवन स्तर में हुई पगगति लोग अर्थवरूव्था के मानवीय की बातेकं ही करिते है लेकिन मध्यप्रदेश में हमने इसे कर दिखलाया है मध्यप्रदेश की प्रगति का मेरा सपना इसी गणदेवता की प्रगति का सपना है । यह युग प्रतिस्पर्धा, परिवर्तन और रनवप्रवर्तन का युग है, लेकिन एक लोकल्याणकारी राज्य की बुनियादी प्रतिज्ञाएं आज भी बेमानी नहीं हुई है । इसी लोकोन्मुखी शासन दृष्ट को हम लगातार जारी रखने के लिए कटिबद्ध है हमारे प्रदेश की प्रगति का यह सफल अब रूकने वाला नही है । हमारा संकल्प है कि प्रदेश के सब वर्गो के सब लोगों की खुशहाली सुनिश्चित की जाये और प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की पक्ति में ला खड़ा किया जावें ।
कबि के शब्दों में :–
"उठो कि तुम जवान हो, महान तेजवाल हो
कि अंधकार के लिए, मशाल ज्योतिमान हो ।
कि हर निशा नवीन स्वप्न आंख में बसा रही ।
कि हर उषा नवीन सिद्धि जिन्दगी में ला रही ।"
आइये इस प्रदेश को समृृद्ध और खुशहाल बनाने के इस यज्ञ में हम सब अपना योगदान दें।
जय हिन्द
1 comments:
संतोष भाई पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ। आप सागर के रहने वाले हैं यह जानकर अच्छा लगा।
July 14, 2010 at 5:12 AMमैंने सागर विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म का कोर्स किया है। बहुत खूबसूरत शहर है सागर।
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पॉल बाबा का रहस्य।
आपकी प्रोफाइल कमेंट खा रही है?.
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